आगरा। बाह थाना क्षेत्र में साढ़े पांच साल की मासूम के साथ दरिंदगी और हत्या के 19 माह पुराने मामले में अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सोनिका चौधरी की अदालत ने दोनों दोषियों अमित और निखिल, निवासी बाह क्षेत्र को दोषी करार देते हुए मृत्युदंड के साथ 4 लाख 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। दोषियों में से अमित मृतका का रिश्तेदार था जिसने दोस्त निखिल के साथ मिलकर इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया था।
बच्ची खेलते समय हुई थी गायब
यह दर्दनाक घटना 18 मार्च 2024 की है। बच्ची अपने घर के पास रहने वाले एक बच्चे के साथ खेलने गई थी, लेकिन देर शाम तक वापस नहीं लौटी। उसके साथ खेलने वाला बच्चा घर लौट आया, पर मासूम लापता रही। परिजनों ने गांव और आसपास के क्षेत्रों में खोजबीन की, मगर उसका कोई पता नहीं चला। रात में पुलिस को सूचना दी गई और तलाश शुरू हुई, लेकिन नाकामी हाथ लगी।
अगले दिन बालिका के पिता के मोबाइल पर एक कॉल आया फोन करने वाले ने 6 लाख रुपये की फिरौती मांगी और कहा कि “बच्ची बेहोश है, शिकोहाबाद आकर रकम दे दो।” इस कॉल से पुलिस सतर्क हुई। जांच में शक के दायरे में बच्ची का रिश्तेदार अमित आया। पुलिस ने अमित और उसके दोस्त निखिल को हिरासत में लेकर पूछताछ की। सख्ती से पूछताछ पर दोनों टूट गए और अपराध कबूल कर लिया।
सरसों के खेत से मिला था शव
दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर सरसों के खेत से बच्ची का शव बरामद किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म, अप्राकृतिक कृत्य और गला घोंटकर हत्या की पुष्टि हुई। पुलिस ने तत्काल केस में हत्या, अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म, साक्ष्य नष्ट करने और पॉक्सो एक्ट की धाराएं बढ़ाईं।
एक महीने में आरोप पत्र, 18 गवाह पेश हुए
तत्कालीन थानाध्यक्ष ने घटना के एक महीने के भीतर ही अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 18 गवाह पेश किए गए। सभी ने ठोस बयान दिए और आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत किए।
कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
अदालत ने साक्ष्यों, गवाहों और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर अमित और निखिल को दोषी पाया। गुरुवार को विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सोनिका चौधरी ने दोनों को मृत्युदंड की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि “ऐसे जघन्य अपराध समाज के लिए कलंक हैं। निर्दोष बालिका के साथ दरिंदगी के बाद हत्या ने मानवता को शर्मसार किया है। ऐसे मामलों में केवल मृत्युदंड ही न्याय का संतुलन स्थापित कर सकता है।”
इन धाराओं में हुई सजा
- धारा 376 डीबी (सामूहिक दुष्कर्म) – मृत्युदंड।
- धारा 302 (हत्या) – मृत्युदंड एवं 1-1 लाख रुपये जुर्माना।
- धारा 364ए (फिरौती हेतु अपहरण) – मृत्युदंड एवं 50-50 हजार रुपये जुर्माना।
- धारा 5एम व 5जी/6 पॉक्सो एक्ट – मृत्युदंड।
- धारा 377 (अप्राकृतिक कृत्य) – आजीवन कारावास एवं 50-50 हजार रुपये जुर्माना।
- धारा 201 (साक्ष्य नष्ट करना) – सात साल कारावास एवं 25-25 हजार रुपये जुर्माना।
पुलिस और अदालत की तत्परता
इस केस में पुलिस की त्वरित कार्रवाई और अदालत की सतर्क सुनवाई ने न्याय की राह तेज कर दी। घटना के एक महीने में चार्जशीट, 19 माह में सजा यह दुर्लभ उदाहरण है।फैसला सुनते ही बच्ची के परिजनों की आंखें भर आईं। अदालत परिसर में मौजूद लोग भी भावुक हो उठे। पिता ने कहा आज हमारी बेटी को न्याय मिला है, हम न्यायपालिका के आभारी हैं।
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