आगरा। आगरा मंडल में मंडल रेल प्रबंधक गगन गोयल के मार्गदर्शन में शुक्रवार, 17 अक्तूबर को गोवर्धन कक्ष में मुख्य लोको निरीक्षकों की मासिक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (ऑपरेशन) पवन कुमार जयंत, सहायक मंडल विद्युत अभियंता (ऑपरेशन) जीसी. पाल सहित कुल 37 मुख्य लोको निरीक्षक मौजूद रहे।
बैठक का मुख्य उद्देश्य रनिंग स्टाफ, विशेषकर लोको पायलट्स और असिस्टेंट लोको पायलट्स के कार्य व्यवहार, सुरक्षा मानकों और संचालन शैली में सुधार लाना था ताकि रेल संचालन को अधिक सुरक्षित, अनुशासित और विश्वसनीय बनाया जा सके।
बैठक में एसपीएडी (Signal Passed at Danger) मामलों पर विशेष रूप से चर्चा की गई। मुख्य लोको निरीक्षकों को ऐसे मामलों में रोकथाम के लिए व्यावहारिक सुझाव और दिशा-निर्देश दिए गए। साथ ही लोको मूवमेंट से जुड़े विभिन्न पैरामीटर्स जैसे एम्बुश चेक, सीएमएस (Crew Management System) में दर्ज क्रू संबंधी असामान्यताएं और सुरक्षा खंडवार विचलन की समीक्षा भी की गई।
वरिष्ठ अधिकारियों ने निर्देश दिए कि मुख्य लोको निरीक्षक अपने-अपने क्षेत्र में रनिंग स्टाफ की निगरानी और मार्गदर्शन को और प्रभावी बनाएं। प्रत्येक क्रू की कार्यशैली, ट्रेन संचालन की समझ और सुरक्षा नियमों के पालन की बारीकी से समीक्षा की जाए ताकि किसी भी प्रकार की चूक या असावधानी की संभावना समाप्त हो सके।
बैठक में लोको पायलट्स के ड्राइविंग कौशल को और निखारने तथा उन्हें सुरक्षित संचालन के प्रति अधिक जागरूक और संवेदनशील बनाने पर भी बल दिया गया। इसके साथ ही शंटिंग नियमों के सख्त पालन पर जोर दिया गया ताकि यार्ड संचालन और स्टेशन मूवमेंट के दौरान कोई जोखिमपूर्ण स्थिति उत्पन्न न हो।
अधिकारियों ने ड्यूल लोको पायलट प्रणाली की उपयोगिता और महत्व पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली न केवल कार्य विभाजन में सहायक है बल्कि इससे सुरक्षा स्तर में भी वृद्धि होती है।
बैठक के अंत में वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (ऑपरेशन) पवन कुमार जयंत ने सभी मुख्य लोको निरीक्षकों से कहा कि वे क्रू की गुणवत्तापूर्ण काउंसलिंग और मॉनिटरिंग करें, जिससे ट्रेन संचालन में अनुशासन और दक्षता बनी रहे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक लोको निरीक्षक अपनी भूमिका को मार्गदर्शक और प्रशिक्षक की तरह निभाएं ताकि लोको पायलट्स में सुरक्षा की संस्कृति विकसित हो सके।इस बैठक के दौरान अधिकारियों और निरीक्षकों के बीच संवाद, अनुभवों का आदान-प्रदान और टीम भावना को भी बढ़ावा मिला। बैठक का माहौल रचनात्मक और उत्साहजनक रहा।