एक रूप ते पूजत है, दूजो रहो पूजाय सहस्त्र भुजा फैलाए के मांग मांग के खाए
गोवर्धन पूजा: श्रद्धालुओं का सैलाब, विदेशी भक्तों ने भी लिया हिस्सा
गोवर्धन। उत्तर प्रदेश के गोवर्धन और मथुरा में बुधवार को गोवर्धन पूजा का भव्य आयोजन देखने को मिला। ब्रजवासियों और देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने गिरिराज जी की 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा में भाग लेकर अपनी भक्ति दिखाई। सुबह से ही भक्तों की भीड़ सड़क मार्गों और मंदिर परिसरों में उमड़ पड़ी।
हरे कृष्णा के जयकारों के बीच श्रद्धालु अपनी श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं। अब तक लगभग 3 लाख श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कर चुके हैं। देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, जर्मनी और अन्य देशों से भी श्रद्धालु इस अवसर में शामिल हुए। विदेशी महिलाएं ढोल, नगाड़ा और मंजीरे की थाप पर नृत्य करती दिखाई दीं।
भक्तिमय माहौल के बीच एक महिला ने लड्डू गोपाल को गोद में लेकर पूजा स्थल पर श्रद्धा अर्पित की। गिरिराज जी का पंचामृत अभिषेक किया गया और उन्हें 1008 तरह के व्यंजनों का भोग अर्पित किया गया।
घर में पूजा और अन्नकूट
इस पर्व पर लोग अपने घरों में भी गाय के गोबर से गिरिराज जी की मूर्ति बनाकर पूजा करते हैं। नए अनाज से बने पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है, जिसे अन्नकूट कहा जाता है। लोग अपने परिवारों के साथ मिलकर इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
अहीर समाज का विशेष आयोजन
श्रीकृष्ण अहिरानी बृजवासी यदुवंशी परिवार और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव शोभायात्रा समिति के तत्वावधान में गिरिराज तलहटी गोवर्धन में सामूहिक पूजा और अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया। भक्तों ने गिरिराज पर्वत का पवित्र जल, दूध, दही, घी, शहद और पुष्प से अभिषेक किया।
मुकुट मुखारबिंद मंदिर में भव्य आरती
जतीपुरा स्थित मुकुट मुखारबिंद मंदिर में सुबह दूध से अभिषेक किया गया और उसके बाद भव्य आरती का आयोजन हुआ। पुजारियों ने मंत्रोच्चार के बीच गिरिराज पर्वत का दुग्धाभिषेक किया। इस दौरान भक्तों ने हरे कृष्ण के जयकारे लगाते हुए अपनी श्रद्धा और भक्ति प्रकट की।
मथुरा में इस पर्व के दौरान भक्तों का उत्साह और श्रद्धा का माहौल लगातार बना रहा। भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ गिरिराज जी के दर्शन और पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
गोवर्धन पूजा पर गिरिराज जी का भव्य श्रृंगार, ब्रजवासियों ने किया हर्षोल्लास के साथ पूजन
गोवर्धन पूजा के अवसर पर गिरिराज जी का विशेष श्रृंगार दानघाटी मंदिर में वरिष्ठ पुजारी मीनालाल पुरोहित जी द्वारा किया गया। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ी रही, जिन्होंने श्री गोवर्धन की पूजा अर्चना की और प्रसाद ग्रहण किया।
यह पर्व भगवान कृष्ण और गिरिराज जी से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है। कथा के अनुसार, ब्रजवासियों ने इंद्र देव की पूजा की तैयारी की थी। तब बालकृष्ण ने मां यशोदा से पूछा कि सभी लोग इंद्र देव की पूजा क्यों करते हैं। मां यशोदा ने कहा कि इंद्र देव बारिश करते हैं। इसलिए उनकी पूजा की जाती है।
बालकृष्ण ने सुझाव दिया कि हमें इंद्र देव की बजाय गिरिराज जी की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गिरिराज जी हमारी गायों और पूरे ब्रजवासियों के रक्षक हैं। यशोदा जी ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा किया गया तो इंद्र देव नाराज हो सकते हैं। परंतु श्री कृष्ण ने कहा कि सबके रक्षक गिरिराज जी हमारी रक्षा करेंगे।
कथा के अनुसार, जब सभी ब्रजवासियों ने इंद्र देव की बजाय गिरिराज जी की पूजा की, तब इंद्र देव नाराज हुए और सात दिन तक भारी वर्षा कर दी। इसके कारण ब्रजवासियों के घरों और खेतों में पानी भर गया। संकट में, बालकृष्ण ने अपनी कनिष्टा उंगली पर गिरिराज जी को उठाकर सभी ब्रजवासियों की रक्षा की। सात दिनों तक श्रीकृष्ण और गिरिराज जी की कृपा से ब्रजवासियों का संपूर्ण संरक्षण हुआ।
तभी से ब्रज और अन्य क्षेत्रों में हर वर्ष गोवर्धन पूजा बड़े हर्षोल्लास और धार्मिक भक्ति के साथ मनाई जाती है। भक्त इस अवसर पर गिरिराज जी का श्रृंगार करते हैं, उन्हें फल, फूल और अन्य प्रसाद अर्पित करते हैं।दानघाटी मंदिर में आज श्रद्धालुओं ने गिरिराज जी को अपने घरों में सुख, समृद्धि और वर्षा के लिए प्रार्थना की। मंदिर परिसर में भक्तों ने भजन और कीर्तन के माध्यम से इस पर्व की गरिमा को और बढ़ाया।