Indian birth trends News: भारत के बेबी बूमर्स का सीज़न: क्यों सितंबर–अक्टूबर में जन्मदिनों की बाढ़ आती है?

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बृज खंडेलवाल द्वारा

ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादातर बच्चे होली के आस पास पैदा होते, शहरों में मानसून बेबीज़ होते हैं!!!


जैसे ही पेड़ों की पत्तियाँ पीली होकर ज़मीन पर गिरने लगती हैं, भारत में केक काटने का सीज़न शुरू हो जाता है। जी हाँ, सितंबर से अक्टूबर के बीच देशभर में जन्मदिनों की झड़ी लग जाती है। ऐसा लगता है जैसे कैलेंडर ने भी तय कर लिया हो कि ये दो महीने सिर्फ़ “हैप्पी बर्थडे” गाने के लिए आरक्षित हैं।

अब ज़रा नाम सुनिए अमिताभ बच्चन, रेखा, शबाना आज़मी, प्रभास, करीना कपूर, लता मंगेशकर, आशा पारेख, रणबीर कपूर, नरेंद्र मोदी, मोहन भागवत, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गांधी... सब के सब इसी अवधि में जन्मे हैं। यानी अगर आपका जन्मदिन सितंबर या अक्टूबर में है, तो आप किसी न किसी ‘लीजेंड क्लब’ का हिस्सा हैं! लेकिन सवाल उठता है ऐसा क्यों है? क्या सितारे कुछ खास स्थिति में होते हैं? या फिर इसका रिश्ता हमारे अपने "सांस्कृतिक कैलेंडर" से है?ज्योतिषी का डेटा, प्रशासन की गोलाई और 10/10 का जादू एक ऑनलाइन ज्योतिष मंच के मुताबिक, उनके पास 3 करोड़ से अधिक लोगों का डेटा है और उनमें सबसे ज़्यादा जन्म 10 अक्टूबर को दर्ज हैं। 10/10 – कितना सुंदर और याद रखने लायक नंबर है!



"डेटा बताता है कि कुल 2,81,76,320 कुंडलियों में से 1,40,091 लोग 10 अक्टूबर को जन्मे थे, यानी लगभग 0.5%। दूसरे नंबर पर आता है 15 अगस्त — हमारा स्वतंत्रता दिवस जिस दिन 1,26,958 लोगों का जन्म बताया गया। कारण? “दिसंबर में शादी का सीज़न,” श्री पांडे जी कहते हैं, “और नौ महीने बाद? अक्टूबर में बच्चे।”


लॉजिक में दम है दिसंबर की बैंड-बाजे वाली रातों का नतीजा अगले अक्टूबर में शिशु रूप में प्रकट होता है!

लेकिन ठहरिए ये कोई राष्ट्रीय सर्वे नहीं, बल्कि ज्योतिष ज्ञानियों का कहना है। यानी जो लोग कुंडली बनवाने आए, वही नमूना हैं। ऊपर से, भारत में 1980 के दशक तक जन्म तिथि दर्ज करना कोई सटीक विज्ञान नहीं था। कई जगह स्कूल दाखिलों के लिए माता-पिता “गोल तारीखें” दे देते थे 1, 10, या 15 तारीख ताकि याद रखना आसान रहे।इसलिए 10 अक्टूबर (10/10) जैसी तिथियाँ “डिफ़ॉल्ट बर्थडे” बन गईं। प्रशासनिक सुविधा और ज्योतिषीय रोमांस का शानदार संगम!


असली कहानी: मॉनसून बेबीज़ और विंटर मैरिज़

अब बात करते हैं असली, वैज्ञानिक डेटा की।


राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019–21) के मुताबिक, सितंबर भारत का “जन्मों का सुपरहिट महीना” है — साल के कुल जन्मों का लगभग 9.3% इसी महीने होते हैं। अगर अगस्त से नवंबर तक का पीरियड देखें, तो ये आँकड़ा 37% तक पहुँच जाता है।एक जनसांख्यिकी एक्सपर्ट बताती हैं, “भारत का विवाह सीज़न नवंबर से फरवरी के बीच होता है। और नौ महीने बाद बूम! सितंबर–अक्टूबर में जन्मों की लहर।” इसलिए अगर किसी की शादी दिसंबर में हुई है, तो अक्टूबर में घर में नए सदस्य के आने की पूरी संभावना है।


यानी साफ़-साफ़ गणित: Winter Marriages = Monsoon Babies!

इसके विपरीत, गर्मियों की तपिश में गर्भधारण कम होता है, इसलिए मार्च–अप्रैल में जन्म दर भी घट जाती है। प्रकृति का अपना फैमिली प्लानिंग डिपार्टमेंट!

स्कूल एडमिशन और ‘कट-ऑफ बेबीज़’

एक और दिलचस्प फैक्टर है  स्कूल एडमिशन।भारत में शैक्षणिक वर्ष का कटऑफ आमतौर पर 31 मार्च होता है। कई शहरी माता-पिता अब “प्लान्ड पैरेंटहुड” अपनाते हैं, ताकि बच्चा अप्रैल–जून में जन्म ले और स्कूल में समय पर एडमिशन पा सके।

इसलिए शहरों में एक छोटा सा बेबी पीक मार्च से जून के बीच भी देखा जाता है। कह सकते हैं, कुछ बच्चे संस्कारों की वजह से पैदा होते हैं, कुछ एडमिशन शेड्यूल की वजह से!


यह ट्रेंड सिर्फ़ भारत में नहीं। दुनिया भर में ऐसा होता है। अमेरिका में, सोशल सिक्योरिटी डेटा के मुताबिक, 9 सितंबर सबसे आम जन्मदिन है क्रिसमस और न्यू ईयर के हॉलिडे रोमांस का असर!यानि “लव इज इन द एयर” दिसंबर में, और नतीजे दिखते हैं अगले सितंबर में।


डेटा की दिक्कतें और भविष्य की दिशा


भारत में अब भी करीब 20% बच्चों का जन्म औपचारिक रूप से पंजीकृत नहीं होता। इसलिए कई जगहों पर जन्म तिथि “अनुमान” पर आधारित होती है।

नतीजा: स्कूलों में उम्र गड़बड़, दस्तावेज़ों में उलझन, और शोधकर्ताओं के सिर में दर्द! अच्छी बात यह है कि आधार और डिजिटल रिकॉर्डिंग जैसी पहलें अब इस अंतराल को भर रही हैं।


जन्म सिर्फ़ तारीख़ नहीं, एक कहानी है। तो अब जब कोई कहे कि “10 अक्टूबर को मेरा जन्मदिन है”, तो समझ लीजिए ये या तो नियति का कमाल है, या सरकारी गोलाई का नमूना। लेकिन असली विजेता है सितंबर, जो भारतीय कैलेंडर का सबसे नटखट, सबसे प्रजननशील महीना साबित हुआ है।


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Avdhesh Bhardwaj, Senior Journalist with 22+ years of experience, has worked with Dainik Jagran, iNext, The Sea Express and other reputed media houses. He has reported on politics, administration, crime , defense, civic issues, and development projects. Known for his investigative journalism and sting operations, he is now contributing to Today NewsTrack as a leading voice in digital media.”

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