आगरा।भारत की धरती पर बुधवार को इतिहास रच गया, जब संयुक्त राष्ट्र के सैन्य योगदानकर्ता देशों (United Nations Troop Contributing Countries - UNTCC) के प्रमुखों ने भारत की सैन्य तकनीकी क्षमता, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गौरव का प्रत्यक्ष अनुभव किया।
14 से 16 अक्टूबर तक चल रहे इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान यूएनटीसीसी प्रतिनिधि बुधवार को आगरा पहुँचे, जहाँ भारतीय सेना ने अपनी नई पीढ़ी की एकीकृत तकनीक Integrated Next-Generation Technology Systems का शानदार प्रदर्शन किया।
आधुनिक ड्रोन सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डिफेंस मॉड्यूल और हाइब्रिड कॉम्बैट टेक्नोलॉजी के प्रदर्शन ने विदेशी प्रतिनिधियों को प्रभावित किया। भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि यह प्रदर्शन ‘आत्मनिर्भर भारत’ की उस परिकल्पना का प्रतीक है, जहाँ भारत न केवल रक्षा निर्माण में स्वावलंबी बना है, बल्कि तकनीकी नवाचार में भी विश्व नेतृत्व की दिशा में अग्रसर है।
शत्रुजीत ब्रिगेड मैदान में आत्मनिर्भर भारत की झलक, ताजमहल के सामने हुए यादगार पल
दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल की पृष्ठभूमि में बुधवार को भारतीय सेना ने अपने शौर्य और स्वदेशी तकनीक की ऐसी झलक दिखाई, जिसने 32 देशों से आए सैन्य अधिकारियों को प्रभावित कर दिया।संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (UNTCC) के प्रमुखों का यह कॉन्क्लेव आत्मनिर्भर भारत की शक्ति और नई सैन्य प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन का साक्षी बना।
सुबह विशेष विमान से आए 200 से अधिक सैन्य अधिकारी आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर उतरे। वहां से वे ताजमहल पहुंचे, जहां उन्होंने करीब 45 मिनट तक भारत की अमर स्थापत्य कला का नज़ारा किया। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी का स्वागत वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी और सीआईएसएफ कमांडेंट वी.के. दुबे ने किया।करीब 20 प्रशिक्षित गाइडों ने विदेशी मेहमानों को ताजमहल का इतिहास और भारतीय संस्कृति की विरासत से परिचित कराया। सेंट्रल टैंक पर अधिकारियों ने ताजमहल के साथ समूह फोटो खिंचवाए। यह पल आगरा की धरती के लिए ऐतिहासिक रहा।
दोपहर बाद सभी अधिकारी शत्रुजीत ब्रिगेड मैदान पहुंचे, जहां भारतीय सेना ने अपने आधुनिक युद्ध कौशल, रणनीति और तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया।मैदान में हेलिकॉप्टर की गड़गड़ाहट, उतरते कमांडो, बम धमाकों और गोलियों की आवाज़ों के बीच भारतीय जवानों ने सटीकता के साथ दुश्मन ठिकानों को ध्वस्त करने का प्रदर्शन किया।विशेष आकर्षण रहा रोबोटिक म्यूल जो दुनिया में पहली बार कॉम्बैट जंप में शामिल हुआ। इसने मानव-मशीन एकीकरण की दिशा में भारतीय सेना की तकनीकी बढ़त को दर्शाया।प्रदर्शन में संचार प्रणाली, पैराट्रूपर्स की रणनीति, और उन्नत ड्रोन तकनीक भी दिखाई गई। विदेशी सैन्य अधिकारियों ने भारतीय सेना की दक्षता, अनुशासन और आत्मनिर्भरता की सराहना की।
कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना ने यह संदेश दिया कि शांति स्थापना केवल हथियारों से नहीं, बल्कि सहयोग, समरसता और नवाचार से संभव है। प्रतिनिधियों ने भारत की रक्षा रणनीति, प्रशिक्षण पद्धति और शांति अभियानों में उसकी बढ़ती भूमिका की सराहना की।
आगरा प्रवास के दौरान यूएनटीसीसी के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने विश्वप्रसिद्ध ताजमहल का भ्रमण किया और भारतीय संस्कृति के प्रतीक प्रेम व सौहार्द का संदेश महसूस किया। इसके बाद कला-कृति हेरिटेज सेंटर में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में उन्होंने भारत की विविधता में एकता की झलक देखी। पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रस्तुतियों ने विदेशी मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के अगले चरण में प्रतिनिधि दिल्ली मेट्रो के माध्यम से लाल किला पहुँचे, जहाँ लाइट एंड साउंड शो के जरिये भारत की सभ्यतागत यात्रा और स्वतंत्रता संग्राम की गौरवगाथा प्रस्तुत की गई।यह आयोजन आधुनिक, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल भारत की झलक के रूप में देखा गया।सम्मेलन के अंतिम दिन गुरुवार को आगे की रूपरेखा तय की जाएगी कि किस प्रकार संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों को और अधिक प्रभावी, समावेशी और टिकाऊ बनाया जा सके।भारत ने इस सम्मेलन के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह केवल एक सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि एक वैश्विक शांति सहयोगी (Global Peace Partner) है। जो तकनीक, परंपरा और मानवता, तीनों को साथ लेकर चलता है।
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