आगरा।आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर रात में तेज रफ्तार वाहनों पर अब लगाम लगेगी। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीड़ा) ने शीत ऋतु में रात के समय वाहनों की अधिकतम गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा से घटाकर 75 किलोमीटर प्रति घंटा करने का निर्णय लिया है। यह कदम रातों में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है।
यूपीड़ा की हालिया बैठक में तय हुआ कि एक्सप्रेसवे पर हर सड़क हादसे की ड्रोन से रिकॉर्डिंग की जाएगी, ताकि दुर्घटनाओं के वास्तविक कारणों की वैज्ञानिक जाँच व विश्लेषण किया जा सके। इसके साथ ही एक्सप्रेसवे का नया सेफ्टी ऑडिट भी कराया जाएगा।
सुरक्षा के लिए नए कदम
बैठक में निर्णय लिया गया कि एक्सप्रेसवे के सेन्ट्रल मीडियन पर दोनों ओर क्रैश बैरियर लगाए जाएंगे, जिसकी अनुमानित लागत लगभग ₹90 करोड़ होगी। इसके अलावा, यात्रियों की सुविधा बढ़ाने के लिए और अधिक वे-साइड सुविधाएँ विकसित की जाएँगी, ताकि थकान-संबंधी दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।
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| वरिष्ठ अधिवक्ता के.सी. जैन, यूपीड़ा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी दीपक कुमार (आईएएस) को सड़क सुरक्षा संबंधी प्रस्तुतीकरण की प्रति सौंपते हुए। |
यूपीड़ा जल्द ही एक डेटा एनालिस्ट की नियुक्ति करेगा जो दुर्घटनाओं से संबंधित आँकड़ों का वैज्ञानिक विश्लेषण करेगा। एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक उल्लंघनों की निगरानी अब ई-मॉनिटरिंग से की जाएगी। अब केवल गति सीमा नहीं, बल्कि लेन अनुशासन, हेलमेट, सीट बेल्ट, ओवरलोडिंग, और मोबाइल फोन के उपयोग जैसे उल्लंघन भी स्वतः पकड़े जाएंगे।
10 नवंबर 2025 को लखनऊ पिकअप भवन के षष्ठम तल पर हुई बैठक की अध्यक्षता यूपीड़ा के सीईओ व औद्योगिक विकास आयुक्त दीपक कुमार (IAS) ने की। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता और सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता के.सी. जैन को विशेष आमंत्रित कर प्रस्तुतीकरण देने का अवसर दिया गया।
जैन ने बताया कि 2019 के बाद से किसी स्वतंत्र रोड सेफ्टी ऑडिट का आयोजन नहीं हुआ है, जबकि यातायात का घनत्व अब दोगुना हो चुका है। उन्होंने कहा कि 2021 से 2025 के बीच इस एक्सप्रेसवे पर 7,024 दुर्घटनाएँ, 8,355 घायल और 811 मौतें दर्ज की गईं। इनमें से 54.7% हादसे थकान या झपकी के कारण हुए हैं।
रात का समय सबसे खतरनाक
रिपोर्ट में बताया गया कि 70% सड़क हादसे रात 12 से सुबह 8 बजे के बीच होते हैं। इसलिए रात्रिकालीन यातायात नियंत्रण, रोशनी और चालक विश्राम सुविधाओं को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई।करीब 9% हादसे टायर फटने से होते हैं। इस पर रोक के लिए टोल प्लाजा पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे—जैसे “घिसे टायर = घातक सवारी” और “हाईवे पर जाने से पहले हवा का दबाव जांचें।
थकान और विश्राम की व्यवस्था
थकान को हादसों का सबसे बड़ा कारण बताते हुए अधिवक्ता जैन ने सुझाव दिया कि हर 40–50 किलोमीटर पर विश्राम क्षेत्र और डॉरमिटरी की व्यवस्था हो। ट्रक चालकों के लिए अलग अधिकृत पार्किंग जोन बनें ताकि अवैध पार्किंग से होने वाली टक्करें रोकी जा सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि पूरे 302 किलोमीटर मार्ग पर लगातार मजबूत मीडियन बैरियर लगाने चाहिए ताकि वाहन दूसरी दिशा में न जा सकें।
ड्राइवर वेलनेस योजना का प्रस्ताव
जैन ने प्रस्ताव दिया कि हर 50 किमी पर “ड्राइवर वेलनेस जोन” बनाए जाएँ, जहाँ ₹5 में चाय और ₹20 में भोजन की सुविधा मिले। इससे चालक सड़कों पर खतरनाक ढंग से रुकने से बचेंगे और थकान जनित दुर्घटनाएँ कम होंगी।
ई-मॉनिटरिंग और डेटा एनालिटिक्स सिस्टम
यूपीड़ा मुख्यालय में एक समर्पित डेटा एनालिस्ट नियुक्त किया जाएगा जो “एक्सीडेंट एंड रेस्पॉन्स डैशबोर्ड” तैयार करेगा। हर दुर्घटना का रीयल-टाइम रिकॉर्ड रखा जाएगा—वाहन, समय, स्थान, कारण, और रेस्क्यू समय सहित।प्रस्ताव दिया गया कि वाहन हटाने से पहले ड्रोन सर्वे द्वारा स्थल की तस्वीरें ली जाएँ ताकि दुर्घटना के कारणों का वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण हो सके।
डिजिटल बोर्ड से जागरूकता अभियान
टोल प्लाजा और विश्राम स्थलों पर हिंदी में स्लोगन प्रदर्शित किए जाएंगे, जैसे:
“थकान के आगे कोई ब्रेक काम नहीं करता।”
“अपनी लेन में रहो, सुरक्षा रहेगी साथ।”
“अनधिकृत रुकना हादसे को बुलाना है।”
साथ ही, दो से तीन मिनट के जागरूकता वीडियो टोल प्लाजा और सोशल मीडिया पर चलाए जाएंगे।
गति रुक सकती है, जीवन नहीं
अधिवक्ता जैन ने कहा,गति रुक सकती है, जीवन नहीं। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को अब केवल गति का नहीं, बल्कि सुरक्षा का प्रतीक बनाना ही असली उपलब्धि होगी।”बैठक करीब 90 मिनट चली, जिसमें सीईओ दीपक कुमार के साथ अतिरिक्त सीईओ एच.पी. साही, मुख्य सामान्य प्रबंधक एस.के. श्रीवास्तव और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
मीटिंग के मुख्य बिंदु
- रात्रिकाल में अधिकतम गति सीमा 75 किमी/घंटा।
- हर दुर्घटना की ड्रोन से रिकॉर्डिंग होगी।
- नया रोड सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा।
- ई-मॉनिटरिंग से चालान व्यवस्था सख्त।
- 54.7% हादसे ड्राइवर की थकान से।
- वे-साइड सुविधाएँ और ड्राइवर वेलनेस जोन विकसित होंगे।
- 90 करोड़ की लागत से क्रैश बैरियर लगाए जाएंगे।

